भूगोल अब इसी मतके हैं कि राजनीतिक अर्थों में भी इस देशको पक ही समझना चाहिये। भारतके इतिहासमें कई एक समय ऐसे पाये जाते हैं कि जब अफगानिस्तान और बलोचिस्तान भी भारतके सामाज्यमें मिले हुए थे। हिन्दुओंके समयमें और उसके पश्चात् मुसलमानोंके समयमें भी ये पश्चिमी देश अनेक बार भारतको राजनीतिक अधीनतामें पाये और इसका अंग गिने गये । भय भी बलोचिस्तान के कुछ भाग ब्रिटिश भारतमें सम्मि- लित हैं और पूर्व में ब्रह्मा भी ब्रिटिश भारतके ही अन्तर्गत है। चिरकालतक लड्वा द्वीप भी भारतका ही एक भाग गिना जाता था। इसमें सन्देह नहीं कि राजनीतिक अर्थोंमें सारा भारतवर्ष सदा.एक ही राजशक्तिके अधीन नहीं रहा, परन्तु ब्रिटिश शासन. के पहले अनेक ऐसे समय हो चुके हैं कि जब वर्तमान ब्रिटिश भारतका अधिकांश नहीं, वरन् सबका सब भारतके राज्यमें ही गिना जाता था। उदाहरणके तौरपर यहां तीन राजाओं के नाम दिये जाते हैं जिनके शासनकालमें वर्तमान त्रिटिश इण्डियाका प्रायः अधिकांश एक ही राज्यके अधीन था- (१) महाराजा अशोक, (२) महाराजा समुद्रगुप्त, और (३) सम्राट अकबर। श्रेष्ठता और श्रेष्ठता और सभ्यताकी दृप्टिस भारत- सभ्यताको दृष्टिसे। को निश्चय ही एक देशं स्वीकार करना उचित है। भारतकी सभ्यता और संस्कृतिकी जड़ हिन्दू सभ्यता है जो इसी देशमें उत्पन्न हुई और जो यहीं विकसित होकर सारे देशमें फैल गयी। सारी हिन्दू सम्यताकी जड़ एक है, इस सिद्धांतको बहुतसे यूरोपियनोंने मान लिया हैं। इस हिन्दू सभ्यताके सम्बन्धमें यह यात निश्चित है कि यह संसारकी .
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