पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/६२

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पहला खण्ड -- भूगोल Gaya भारतभूमिको भिन्न भिन लोग अपनी अपनी भाषामें भिन्न भिन्न नामोंसे पुकारते हैं । यह स्वयं एक छोटा सा महाद्वीप है। इसके उत्तर में हिमालयकी गिरिमाला लगभग १६०० मील लम्बी है। सभी मानते हैं कि यह पर्वत ससारके सब पहाडोंसे ऊँचा है। कवि इकबालने लिखा है- "पर्वत वह सबसे ऊँचा हमसाया आसमा ।" यह देश एक प्रकारसे अपने आपमें एक छोटासा ससार है। इसमें प्रत्येक जातिके मनुष्य, प्रत्येक धर्म के अनुयायी, प्रत्येक. रङ्गके व्यक्ति और सभ्यता तथा श्रेष्टताकी दृष्टि से भी सब प्रकार- के मनुप्य मिलते हैं । इस देशके पहाड ऊचे और लम्मे हे। उन- म बहुतसी बहुमूल्य खाने हैं। इस देशकी नदिया रम्मी, चौडी और पानीसे मुहामुंह भरी हुई हैं । उनमे नावें चल सकती है। यहाके वन सैकडों वर्गमीतक फैले हुए हैं। वे प्रत्येक प्रकार- की वनस्पतिले सज्जित और नाना प्रकारके वृक्षोंसे परिपूर्ण है। उनले यनुतसे अर कट चुके हैं और वहाकी भूमिपर अय खेती होने लगी है। इस देशमें रेतोले मैदान सैकडों मीलोंतक फैले हुए हैं। इनमें रेतके टीलों और कतिपय जङ्गली झाडियोंके सिवा हरियाली-