पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/५१७

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४७४ भारतवर्षका इतिहास अशोकके शिलालेखोंका अच्छा संग्रह Mr. Senart का किया हुआ Le Inscription De Priadarsi नामसे है। इसका अनुवाद Indian Antiquary में डाफर नीयर्सनने किया है । कनिकमका संग्रह Corpus Inscriptionum Indicaram. vol. I पुराना हो गया है। अशोकके भिन्न भिन्न शिलालेखोंके Epigraphia Indica में जो संस्करण हैं चे अधिक पूर्ण शुद्ध हैं । पण्डित रामावतार शर्माने "अशोक प्रशस्तयः" नामसे एक संग्रह निकाला है और नागरी प्रचारिणी पत्रिकामें भी उनका नयां संस्करण हो रहा है। पर इनमें लेखोंके फोटो नहीं हैं। 'गत यूरोपीय युद्धके पहले जर्मन विद्वान डाफर हलश (Hulty- sch) को अशोकके शिलालेखोंका नया संग्रह प्रकाशित करने. 'का काम दिया गया था। पर युद्ध छिड़ जानेसे घह बीचमें ही रह गया। अशोकका मस्फीका लेख जो पीछे मिला है और जिसमें उसका नाम भी है Hyderabad Arch. Sur. की ओरसे 'प्रकाशित हुआ है। मौर्य और गुप्तोंके यीचके शिलालेखोंको Corpus Inscrip tionum Indicarum के दूसरे खण्डमें निकालनेका प्रस्ताव बहुत पुराना है। यह अभीतक पूर्ण नहीं हुआ। ये लेख Apigraphical Indica #mar Arch. Sur. India #991- 'शित हुए हैं। गुप्तोंके लेखोंका संग्रह फ्लोटने Corpus inscriptionum Indcarun vol. 3में किया था। उसके पीछेके मिले हुए लेख -Epigraphia Indica और Arch Survey में प्रकाशित हुए हैं। पीछेके समयके लेख Epigraphia Indica और अन्य 'पत्रोंमें निकले हैं।. दक्षिणी भारतवर्षके लेखोंका संग्रह हल्श

चेङ्कय्य और कृष्ण शास्त्रीने South Indian Inscriptions के