पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४८८

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जाहस्टरो आव इण्डियाका प्रथम खण्ड ४४५ वचार किया गया है जिनमें भारतका कुछ वृत्तान्त है। टेसियस र हीरोडोटसके विपयमें जो कुछ सम्मति थी० बेवनने प्रकट की है उसका प्रमाण हम असर दे चुके है। इस परिच्छेदमें अधि- तर मगस्थनीज़के लेखोंको उद्धृत किया गया है। ऐसा प्रतीत ता है कि मगस्थनीज़के पहले यूनानियोंने न कभी गन्ना जिससे शक्कर बनाई जाती है ) का नाम सुना था और न कभी ई देखी थी। मगस्थनीजने लिखा है कि भारतीय लोग मधु- क्खियोंकी सहायताके बिना सरकण्डोंके एक प्रकारके पौधेसे कर बनाते हैं और पेड़ोंसे ऐसी रूई पैदा करते हैं जो भेड़ोंकी नसे भी अधिक कोमल होती है। यूनानियोंको हिन्दुओंके गस्थ्यपर भी आश्चर्य होता था। उन्होंने लिखा है कि भारतमें गोको सांप काटेकी चिकित्साके सिवा और कोई काम नहीं है, कि ये लोग अतीव नीरोग हैं, इन्हें रोग बहुत कम होता है रचे देरतक जीते हैं। उनके स्वास्थ्यका यह कारण बताया है कि उनका भोजन सादा है और ये मदिरापान नहीं करते १०४०८)। यूनानी दूतने भी इस बातकी साक्षी दी है कि युद्ध-काल- रुषकोंके साथ हस्तक्षेप नहीं किया जाता था। जहां लड़ाई ती थी उसोके समीप रुपक खेतीके लिये भूमि तैयार करते और फसल काटते थे। उनको कोई कुछ न कहता था ४१०)। मगत्पनीज़ने लोगोंकी रीति-नीतिका वर्णन करते उनकी भद्र सरलताकी बड़ी प्रशंसा की है। (पृ० ४१२,)। "Since diseases were so rare among Indians' p. 406. Singularly free from diseases and long lived.' p. 407. A noble simplicity seemed to him the predominant characteristic,