४४२ भारतवर्षका इतिहास तीसरा लेखक जिसका प्रमाण अध्यापक जैकसनने दिया है, ज़ेनोफन है। उसने साईरसका जीवनचरित एक अद्भुत कथाके रूप में लिखा है। उसमें उसने लिखा है कि साईरसने वाखतरिया और भारतके लोगोंको विजय किया। जेनोफनके वर्णन अतीव संदिग्ध और निरर्थक हैं। उनसे कोई ऐतिहासिक घटना सिद्ध नहीं होती। इसके विपरीत दो यूनानी लेखक एक नियारकस जो सिकन्दरके साथ आया था और दूसरा मग स्थनीज जो सिल्यूफमका दूत बनकर पाटलिपुत्रमें अनेक वर्ष रहा-बलपूर्वक इस चातका खण्डन करते हैं कि ईरानियोंने कभी भारतका कोई भाग विजय किया हो। (देखो पृ० ३३१ तथा ३३२)। भारियन अपनी पुस्तक इण्डिकामें एक स्थानपर लिखता है कि जो भारतीय राज्य सिन्धु नदी और काबुलके बीच अय- स्थित है वे पहले असीरियाके अधिकारियोंको फिर मीड लोगों ( Medes ) को.और फिर ईरानियोंको कर देते रहे। परन्तु इस यातका कोई प्रमाण नहीं है। अतएव इन कारणोंसे अध्या. पक जैफसनने पृष्ठ ३३६ पर जो यह परिणाम निकाला है कि साईरसने अफगानिस्तान और बलूचिस्तानपर आक्रमण किये, यह प्रमाणों द्वारा सिद्ध नहीं है। फिर उससे यह परिणाम निकालना तो और भी दूरको यात रही कि उसने इन प्रदेशोंको जीतकर उनसे राजस्व लिया। • इन वर्णनोंसे ये परिणाम निकालना ऐसा ही है जैसा कि हम पुराणोंकी कथाओं या महाभारतके कुछ संकेतोंसे यह परि. णाम निकाल लें कि प्राचीन हिन्दू चीन और पाताल अर्थात् अमरीकामें राज्य करते थे । इन वर्णनोंका कोई ऐतिहासिक मूल नहीं है।
पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४८५
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।