पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४८४

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केम्ब्रिज हिस्टगे आव इण्डियाका प्रथम खण्ड ४४१ ३६७ पर श्रीयुत वनने यह सम्मति प्रकट की है कि वह जान घूझकर झूठ बोलनेवाला मनुष्य था। उसने भारतके विषयमें कुछ लिखा है वह फेरल निस्सार है। फिर भी उसके लेखों- का प्रभाव पश्चिममें बहुत अधिक रहा। The Influence of Ctesias upon the Greek con: ception of India was probably great. It confirm- ed for ever in the west the idea that India was a land where nothing was impossible a land of nightmare, monsters and strange poisons, of gold and gems. (P. 397 ) हीरोडोटसके विषयमें श्रीयुत येवन लिखते हैं (०२६५) कि उसने भारतके सम्बन्ध में जो कुछ लिखा यह हेकेटियस ( Hec- ataeus) से प्राप्त किया। इस शेपोक्त व्यक्तिके समस्त शानका मूल स्रोत एक व्यक्ति सकाई लेकस था। कुछ उसने ईरानी अन्यकारोंसे भी प्राप्त किया (पृ०३६४)। हीरोडोटसने लिखा है कि सिंधु नदी पूर्वको बहती है (पृ. ३६५ ) और उत्तर-पूर्वी भारतमें जो चींटियां सोना इकट्ठा करती हैं उनका डीलडौल कुचोंके बराबर होता है (पृ० ३९५)। हीरोडोरसने और भी अनेक मिथ्या बातें कही हैं। ईरानके राजा साई- हीरोडोटसने साईरसके पूर्वी विजयोंका उल्लेख किया है और उनमें ऐसी जातियोंका रसके विजय। भी उल्लेख किया है जो भारतके सीमान्तपर (हिन्दूकुश सीमा थी) बसती थीं, टेसियस लिखता है कि साईरसको एक भारतीयने मारा। भारतीय लोग डरवीकस नामकी एक जातिकी मोरसे रहे थे। 1