४३२ भारसंघर्षका इतिहास शवोंके उठानेवाले या चमड़ेका व्यवहार करनेवाले या शिकारी इत्यादि। पोतोंके द्वारा समुद्र-यात्राका भी उल्लेख है समुद्र-यात्रा। ( यद्यपि कम)।पोत ऐसे बड़े बड़े बनाये जाते थे कि सैकड़ों मनुष्य एक पोतमें यात्रा कर सकते थे (पृष्ठ २१३)। स्थल-मागापर प्रायः कोई भय न था । राजकुमार, धनिक और ब्राह्मण लोग, किसी प्रकारकी रोक-टोक और लूटे जाने के डरके विना, विश्वविद्यालयोंको जाया करते थे (पृ० २१४)। हण्डियां और प्रामिसरी उन दिनोंमें हुण्डियों और प्रामि- सरी नोटोंकी प्रथा प्रचलित हो चुकी नोट। थी। सूदको “चड्ढी" यहते थे। यह शब्द आजकल घूसके लिये प्रयुक्त होता है। प्रचुर मुनाफ़ा -लेना बुरा समझा था। परिच्छेद से परिच्छेद १२ तक महाभारत रामायण और सूत्रोंका वर्णन !' अध्यापक वाशवर्न हापकिन्स लिखे हुए हैं। वे एक अमरीफन विश्वविद्या. लयके अध्यापक है । इन परिच्छेदों में सूत्रों, महाभारत, रामा. यण और धर्म-शास्त्रोंका वर्णन है। उस समयके सामाजिक नियमों, रीति-नीतियों, कानूनों और न्याय-पद्धतिपर विचार किया गया है। जाति-पांति सूत्र-कालमें वर्गों को यद्यपि सामाजिक । प्रयोजनोंके लिये अलग श्रेणियां थीं, परन्तु घे पेसी तरहसे बाँटे न गये थे जैसे कि माजकल देखने में जाते हैं (पृ० २२२)। कला। लिखा है कि "स्थापत्य, तक्षण, सोनारका काम और मुद्रांकनपर यूनान और समफा खासा असर हो चुका धा (पृष्ठ २२६ )। . .
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