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४१२ भारतवर्षका इतिहाम ऐतिहासिक घटनाओंके रूपमें स्वीकार किये जा सकते है। परन्तु इससे इनकार नहीं हो सकता कि उनके विचारोंका अध्ययन अतीव मनोरञ्जक है। यों का मूल निवास कहां । था और घेदोंका काल फौनसा था, इस प्रश्नपर धीयुत दासने यहुत कुछ नवीन प्रकाश डाला है।