हिन्दुओंकी राजनीतिक पद्धति इसी प्रकारकी एक और गुफा है। इसका नाम एलीफेएटा है। यह अपने ढंगकी एक बहुत ही अद्भुत और सुन्दर रचना है।' पांचवें प्रकारकी इमारत बौद्ध-कालमें असंख्य थीं। इनमेंसे बहुतेरेंके खंडहर अब भी मिलते है। रा नसाङ्गने लिखा है कि “संघाराम अतीय असाधारण कारीगरीसे बनाये गये हैं। चारों कोनोंपर एक एक तीन मंजिला बुर्ज है। शहतीरोंके कोनोंपर भिन्न भिन्न रूपोंमें अतीव कौशलंके साथ चित्रकारी की गई है । द्वार, खिड़कियों और दीवारोंपर प्रचुरतासे रंग और रोगन किया हुआ है। भिक्षुओंकी कोठरियां बाहरसे,सादी हैं परन्तु उनमें भीतर बहुत काम किया हुआ है। इमारतके मध्य में एक हाल या बड़ा कमरा रक्खा जाता है। यह बहुत विशाल और ऊंचा होता है। इसके अतिरिक्त भिन्न भिन्न ऊ'चाइयों और आकारोंकी कई कई मंजिलोंके कमरे और वारदरियां हैं। दर- वाज़ पूर्वको ओर खुलते हैं।” • चौद्धोके जैनों और हिन्दुओंने भी बहुत सी गुफायें खोदी और बड़े पड़े विशाल मन्दिर बनाये। प्रत्येक राजा यह यत्न करता था कि अपने समयमै महत्तायुक्त भवनों और मन्दिरों- से.नाम पैदा करे। हिन्दुओंके भवन निर्माण और कलाओंक सम्बन्धमें श्रीयुत ई० वी० हेलकी पुस्तकें और धी० फसन तथा श्री. विसेंट स्मिथके लेप पढ़ने योग्य हैं।* हिन्दू-कालमें सड़कोंके बनानेपर बहुत सडथौर आने जानेके सावन । ध्यान दिया जाता था। चाणक्य लिखता है कि प्रत्येक नगरमें छः बड़ी बड़ी सड़कें होनी हिन्दुओंशी माचीन इमारत, मन्दिर, गुमाय, प्रासाद, सभाभवन सहखोंकी मायाम नमनभानोंके हाथमे गिराये गये। उनका पद नाम नियान भी मन्दि नहीं। फिर मी जो कुछ मोजद है वा धास्त दिया, शलए और पत्थर गटने धादि- म हिन्दुओंकी योग्दवा और नियुपताशा पावसे अधिक साक्ष्य देता है 4
पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४४२
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