पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४३८

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६ भारतवर्षका इतिहास हैं। कन्नौज गजनीके महमूदके आक्रमणके समय भी बहुत बड़ा नगर था। बौद्ध धर्मकी एक पुस्तकमें सियालकोट नगरकी बहुत प्रशसा की है । इसका पुराना नाम सागल था। मुसल मान ऐतिहासिकों और मुसलमान पर्यटकोंने भी हिन्दु-नगरों और हिन्दू-इमारतोंकी भूरि भूरि प्रशसा की है । इसका वर्णन दूसरे भागमें किया जायगा। इमारतोंकी रचनासे सम्पन्ध रखनेवाले शास्त्रका नाम शिल्प- शास्त्र कहा गया है । इसको सर्वोत्तम पुस्तक मानसार है । इसने सात प्रकारके नगर और आठ प्रकारके गांव बतलाये हैं। मान- सारमें सत्तर परिच्छेद हैं। मन्दिरों और घरों की भूमि और मकान कसे होने चाहिये, इन विषयोंपर उसमें सविस्तर उपदेश हैं। वास्तु विद्याके प्रत्येक अङ्गका पूर्ण वर्णन मौजूद है। तत्कालीन स्थपति (मेमार) गणित-विद्याके पूर्ण ज्ञाता होते थे। फर्गुसन लिखता है कि "महाराज अशोकके शासनकालके पूर्व भी भारतमें प्रासाद और सभा-भवन यड़े महत्तायुक्त थे। 'परन्तु उनके चिह्न अव कुछ शेष नहीं है, क्योंकि उस समय पत्थर केवल नीवमें डाला जाता था । ऊपरका भवन लकड़ीका बनाया जाता था। अशोकके समयमें पत्थर और ईट का उपयोग अधिक सामान्य हो गया। फाहियान अशोकके राजभवनका वर्णन करते हुए कहता है कि "वे विशाल पत्थर जो इस प्रासादमें लगाये' हुए हैं किसी मानुपी शक्तिके गढ़े हुए नहीं हो सकते।" विसेंट स्मिथ भी लिखता है कि अशोकके समयमें भारतमें ललित- कलाओंने उन्नतिको चरमसीमा देखी थी। राजकीय इञ्जिनियर 1