पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४२२

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i 1 ३८० भारतवर्षका इतिहास अड़तालीस सहस्र पण वार्षिक। (२) नगरफे द्वारों और राज-सदनका अध्यक्ष, पुलिसको उच्चाधिकारी, कलपुर जनरल और कोपाध्यक्ष जनरल :- चौवीस सहन पण चार्षिक । (३) दूसरे राजकुमार और राजकुमारोंकी मातायें, विमागों.. 'के उच्चपदाधिकारी, कौंसिलके सदस्य, पुलिसके बड़े अफसर, इर्षदीके उपदाधिकारी :- यारह सहस्र पण वार्षिक (e) कारपोरेशनोंके अफसर, हाथियों और घोड़ोंके अध्यक्ष और निरीक्षक :- आठ सहस्र पण वार्षिक। (६) पलटन, अश्वारोही सेना तथा गाड़ियोंके अधिष्ठाता, (और धनोंके अफसर:- चार सहस्र पण वार्षिक इत्यादि इत्यादि। एक विशेष कालके पश्चात् राजकर्म- चारियोंको वृत्ति (पेंशन)मिल सकती थी। जब कोई कर्मचारी सरकारी नौकरीमें मर जाता था तो उसके परिवारका पालन- पोषण राजकीय कोपसे होता था । कानूनोंका बनाना। • हम ऊपर फह आये है कि हिन्दू-कालमें प्रायः राज्यको कानून बनानेका अधिकार न था। हिन्दू-इतिहासमें ऐसे उदाह- रण बहुत कम होंगे जहां किसी राज्यने दाय, दत्तकपुत्र बनाने, विवाह और अन्य ऐसे ही विषयोंके सम्बन्धमें कोई कानून बनाये हों। 5. धर्म-शास्त्रसे सम्पन्ध रखनेवाले सभी कानूनोंका आदि- मूल चेद और स्मृतियां हैं। गोतम ऋपि अपनी पस्तक लिखते 6