पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/४२०

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मारतवर्षका इतिहास लगाना, उनको सुरक्षित रखना, उनकी उपजका संग्रह करना और उनकी आय इकट्ठा करना आदि था। आठवाँ विभाग शस्त्रास्त्रोंका था। इसके सिपुर्द प्रत्येक प्रकार- के युद्ध-शस्त्रोंका बनाना, इकट्ठा करना, पहुंचाना, हिसाब रखना, और मरम्मत करना आदि था दुर्गोका निर्माण और रक्षा भी इसीके सिपुर्द था। नयां विभाग तौल और मापके यन्त्रोंका था। अर्थ-शास्त्र में यह वर्णित है कि वाट लोहेके या पत्थरके या किसी ऐसी चीज़के होते थे जिसपर गरमी सरदीका कुछ प्रभाव न हो। दसवां विभाग मापका था। • ग्यारहवां विभाग चुङ्गोका था। यारहवा विभाग जहाजोंका था। तेरहवां विभाग सिंचाईका था । चौदहवां विभाग कृपिका था। पन्द्रहवां विभाग कपड़े बुननेका था। सोलहवां विभाग अस्तबलका था। इसी विभागके सिपुर्द यह काम था कि वह हाथी-घोड़ोंके अतिरिक्त पशुओंकी संख्या और वंशका भी ध्यान रक्ने । सत्रयां विभाग गाड़ियोंका था। गाड़ियां सैनिक प्रयो- जनोंके लिये भी काममें लाई जाती थीं। अठारहवां विभाग अनुज्ञापत्र अर्थात् पासपोर्टका था। ऐसे ही और बहुतसे विभाग थे। उदाहरणार्थ, एक आय: कारी विभाग था, एक दान-पुण्यका विभाग था, और एक धार्मिक संस्थाओं के निरीक्षणका विभागथा। इन फुटकर विमा- गोमेसे सबसे आवश्यक विभाग पुलिसका था। इस विभागका काम दो प्रकारका था अपराधों को रोकना और अपराधियोंको दूध देनेवाले