पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/३६७

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हिन्दु और यूरोपीय सभ्यताकी तुलना ३२५ ये। उदाहरणार्थ अमरीकामें कुछ वस्तुओंके आयातपर ६० प्रतिशत या १०० प्रतिशत लिया जाता है । यूरोपके आयात और निर्यातके करोंके साथ यदि प्राचीन हिन्दू राज्योंके आयात और निर्यातके करोंकी तुलना की जाय तो ज्ञात होता है कि अपेक्षाकृत हिन्दू-राज्य मुक्त व्यापार (फी टेड) के सिद्धान्तपर अधिक आचरण करते थे । आधुनिक समयों मुक्त व्यापारका सिद्धान्त अधिकांशमें कल्पित है। इससे फेवल उन्हीं राष्ट्रोंको लाम पहुंचता है जिन्होंने अपने हाथोंमें संसारकी राजनीतिक या आर्थिक शक्तिको इकट्ठा कर लिया है और जो इस सिद्धान्तको दूसरे राष्ट्रोंके लूटनेके लिये उपयोगमें लाते हैं। आधुनिक कालकी आधुनिक समयकी साम्पतिक पद्धति हमें इस नवीन सभ्यताको दुर्वलतम शृङ्खला साम्पत्तिक पद्धति (इकानामिक जान पड़ती है। इस सभ्यताकी सबसे बुरी साक्षी यूरोप और अमरीकाके कल-कारखानों- सिस्टम । ) में मिलती है। ये कारखाने जहां एक ओर मानवी पाण्डित्य और मानवी जानकारीकी महत्तायुक्त साक्षी हैं वहीं दूसरी ओर मानधी लोलुपता तथा लोम और उसकी सभ्यामास लूटकी रीतियोंके भी घृणोत्पादक प्रमाण हैं। आधुनिक सभ्यताने मनुष्यको केवल मिट्टी में मिला दिया है। एक ओर तो मनुष्पमात्रकी समताका दृष्ट्वा वजाया जाता है और उनको राजनीतिक मताधिकार (वोट) देकर समताकी गद्दीपर पिठला दिया जाता है। परन्तु दूसरी ओर घड़े बड़े लोहेके कारागार बनाकर उनकी वह मिट्टी खराब की जाती है जो प्राचीन जातियां अपने पशुओंकी भी न करती थीं। यूरोपकी कोयलेकी खानोंमे', रसायन-शालाओंमें, लोहे और फौलादके कारखानोंमें अथवा ऐसी ही अन्य बड़ी बड़ी उद्योगशालाओंमें चले जाइये, आपको