२६८ भारतवर्षका इतिहास इस वंशका शेष इतिहास चालुक्य, राष्ट्रकूट और गह राजामोंसे लड़ाई भिड़ाईका वृत्तान्त है । सन् ७७५ ई०के लगभग इस शफी महता मष्ट हो गई। गड्वंशके एक राजा अनन्तवर्मन चोद. जगमाथका मन्दिर। गङ्गने पुरीमें जगन्नाथका मन्दिर बनाया। धर्म। इस वंशके राजाओंका धर्म पहले बौद्ध था, पीछेसे कई राजाघेप्णव हो गये और कई राजा पहले जैन थे और फिर शैव मतमें मिल गये । परन्तु साधा- रणतया सभी धम्मों के लोग उनके राज्यमें शान्तिपूर्वक रहते थे यद्यपि ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ राजाओंने जैन होनेके कारण शेष मतवालोंको और कुछने शेष होकर जैन धर्मवालोंको दुःख दिया परन्तु यह पीड़न अपवादरूप है। सामान्यतया कोई फिसी धर्मका हो राजा लोग किसीके धर्म में हस्तक्षेप न करते थे। . पहला परिशिष्ट
हिन्दू और यूरोपीय सभ्यताकी तुलना । इतिहासके पाठका मुलं प्रयोजन यह इतिहासके अध्ययनका है कि पाठकको फिसी फाल और किसी. प्रपोजन । जातिकी सभ्यताका यथार्थ ज्ञान हो जाय । राजनीतिक इतिहासमें जो राजाओं और शासकोंफा वर्णन अधिक रहता है उसका बड़ा लाभ यह होता है कि सभ्यताफे इतिहास. के पढ़नेवालेको फालका निरूपण फरने में सुगमता होती है। अन्यथा यह यात फि किस रामाने क्या किया और कौन कौन