(६) क्रमिक रूपसे एकत्रित करके विद्यार्थियोंके सामने रक्खा गया है और उनको उन बड़ी पुस्तकोंका पता बतलाया गया है जिनमें भिन्न भिन्न भागोंके विषयमें सविस्तर वर्णन दिये गये हैं। दूसरे स्थानपर लार्ड एलफिस्टन और सर विलियम हण्टरके इतिहास हैं। इनमें सब प्रकारके वृत्तान्त पाये जाते हैं। परन्तु देशी भाषाओंमें विशेषतः उर्दू भाषामें ऐसी पुस्तकें बहुत कम हैं जिनमें मुसलमानोंके आक्रमणोंके पहलेके वृत्तान्त घिस्तार पूर्वक दिये गये हों। पाठशालाओं में जो उर्दूका 'भारतीय इति- हास' पढ़ाया जाता है उसमें इतिहासका यह भाग यहुत संक्षिप्त शन्दोंमें दिया गया है। इसलिये उर्दू भाषामें भारतीय इतिहास- के इस भागंपर विश्वास्य पुस्तकोंकी बहुत आवश्यकता है। परन्तु साधारण पाठकोंके लिये लिखी हुई पुस्तकें विद्यार्थियोंके लिये अधिक लाभदायक नहीं हो सकतीं। पाठशालाओंके विद्या- र्थियोंके पास समय बहुत थोड़ा होता है। इसके अतिरिक उनकी-बारम्भिक शिक्षा इस घातकी वाधक होती है कि ये 'विवादास्पद विपयोंके सम्बन्धमें सविस्तर विवादोंको भलीभांति समझकर हृदयङ्गम कर सकें। अतएव उनके लिये ऐसी पुस्त- कोंकी आवश्यकता है जिनमें संक्षिप्त शब्दोंमें और सरल भाषा- में घे वृत्तान्त लिखे हों जिनका विश्वास्य विद्वानोंने अन्वेषण किया है। आगेके पृष्ठोंमें मैंने विश्वास्य वृत्तान्तोंको संक्षिप्त और सरल भाषामें इकट्ठा करनेका यत्न किया है। इस पुस्तकके लिखनेका उद्देश्य यह है कि प्रत्येक विद्यार्थी- .फो पाठशाला छोड़नेके पहले अपने जातीय इतिहासके कुछ न कुछ वृत्तान्त मालूम हो जायें, और वे ऐसे वृत्तान्त हों जो अति शयोक्तिसे रहित हों और जिनपर निष्पक्ष, तटस्थ और सत्य- प्रिय विद्वानों के प्रमाण मौजूद हो । यदि इस छोटी सी पुस्तकको
पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/३३
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