२८२ भारतवर्षका इतिहास दूसरी शताब्दीसे ग्यारहवीं शताब्दीतक मैसूरमें गङ्गवंश। 'गङ्गवंशने राज्य किया । दसवीं शताब्दीमें गङ्ग-नरेश जैन धर्म के बड़े प्रतिपालक थे। जैन-धर्म एक्षिणमें ईसाफी चौथी शताब्दीसे फैला हुआ है। गोमाताफी महत्तायुक्त मूर्ति श्रवण बेलगोलमें पहाड़ीमेंसे काट- फर बनाई गई है । यह उचाईमें ५६॥ फुट है। यह अपनी कारी- गरी और डीलडौलमें भारतमें अद्वितीय है। कहते हैं कि सन् १८३ ई० में यह मूर्ति गङ्गराजके मन्त्री चामुण्डरायने पत्थर 'को कटवाकर बनवाई थी। चालुपय जातिके राजपूतोंने सन् ५५० ई० चालुक्य । में वातापि नगरपर अधिकार करके अपना राज्य स्थापित किया। वातापिका नाम अब वादामि है और यह बीजापुरके जिलेके अन्तगत है । इसके सरदारका नाम पुलके. शिन प्रथम था। इसने अश्यमेध यज्ञ भी किया। इसके पुत्र कीर्तिवर्मन और मङ्गलेशने इसके राज्यको पूर्व और पश्चिमकी ओर बहुत बढ़ाया। मङ्गलेशकी मृत्युपर उससे और कीर्ति- वर्मनके पुत्रसे झगड़ा हो गया। अन्तको कीर्तिवर्मनके पुत्रको सफलता हुई और उसने सन् ६०८ ई० में पुलकेशिन द्वितीयके नामपर राज्याभिषेक किया। उसने अपने राज्यका चारों ओर विस्तार किया। सन् ६१५ ई० में पुलकेशिनके भाई कुब्ज विष्णु- वर्धनने पूर्वी चालुक्य वंशकी स्थापना की। यह घंश सन् १०७०
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