भारतवर्ष का इतिहास . मुसलमानोंका आगमन । इस कालमें मुसलमानाने उत्तर भारतपर आक्रमण करना आरम्भ कर दिया। अपतक उनका अधिकार सिन्धपर था। दक्षिणमें वे अपने प्रयल पड़ोसी राष्ट्रकूटोंसे मैत्री रखते थे। वे उत्तर-भारतमें कभी कभी डाका डालते थे । परन्तु इससे अधिक उनके आफमणोंका कोई महत्व न था। कन्नौज-राज्यके दुर्वल हो जानेपर उन्होंने उत्तर भारतको सर करना आरम्भ किया। सन् ६८६ ई० भऔर सन् ६८७ ई० में गजनीके अमीर सवुक्तगीनने भारतपर अपना पहला आक्रमण किया। उस समय पञ्जायमें राजा जयपाल राज्य करता था। उसकी राजधानी भटिण्डामें थी। यह इस समय पटियाला राज्य में है और घड़ा भारी रेलवे- जंक्शन है। जयपाल के साथ सयुक्तगीतको दो तीन लड़ाइयां. हुई। इनमें उसकी या उसके साथियोंकी पराजय हुई। सन् १६१ ई० में ऐसा प्रतीत होता है कि बहुतसे हिन्दू राजोंने एक होयर फुर्म उपत्यकाके समीप सुयुक्तगीनका सामना किया परन्तु हार खाई और मुसलमानोंने पेशावरपर अधिकार कर लियाँ । जयपालने सुलतान महमूदसे हार खाकर आत्म हत्या कर ली। उसके सिंहासनपर उसका पुत्र आनन्दपाल बैठा । अलवेरुनी.लिखता है कि जयपालका गुरु उग्रभूति था। उसने संस्कृत-व्याकरणपर एक प्रामाणिक ग्रन्थ लिखा है। भारतपर गजनीके महमूदके आक्रमणोंका वर्णन दूसरी पुस्तकमें किया जायगा। यहांपर कतिपय और हिन्दू-वंशोंका वर्णन किया । जाता है जो उस समय या उस समय लगभग भारतके मिन्न भिन्न भागोंपर शासन करते थे। जयपालके जयपालकी मृत्युके पश्चात् उसका पुत्र. उत्तराधिकारी राज्यपाल गद्दीपर बैठा । राज्यपालने महमूदसे पराजित होकर उससे सन्धि कर लो। इससे
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