पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२९०

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२५६ भारतवर्षका इतिहास वज्रायुधको.राज्यच्युत कर दिया। इतिहास-लेखक इस राजाके अन्याय, निर्दयता और लोभकी असंख्य कहानियां वर्णन करता है। सन् ८५५ ई में राजा अवन्तिवमन गद्दीपर बैठा। वह बड़ा विद्या-रसिक था। उसके मन्त्री सुय्यने सिंचाई और सण्डासकी सफाईकी अत्युपयोगी कल्पनायें प्रचलित की। राजा अवन्ति- वर्मनने सन् ८५५ ई०से सन् ८८३ ई० तक और इसके पश्चात् शङ्करयर्मनने सन् ८८३ ई० ते सन् १०२ ई० तक शासन किया। यह राजा भी पड़ा लालची था। इसने भी बहुतले मन्दिरोंको लूटा । राजा पार्थको बाल्यकालमें ही गद्दी मिल गई थी। इसके राजत्यकालमें सन् ६१७ ई० या सन् ६१८ में एक भारी अकाल पड़ा। इस वंशका इतिहास अत्याचार और प्रज्ञा-पीड़नकी एक क्रमिक कहानी है। यह वंश लगभग सन् १३३६ ई० तक काश्मीरमें राज्य करता रहा। इस वर्षमें एक मुसलमान-वंशने इस देशपर अधिकार करके लोगोंको बड़ी फ्रूरतासे और बलात्कार मुसलमान बना लिया। अकयरने सन् १५८७ ई०में काश्मीरको विजय करके मुगल-राज्यमें मिला लिया। तीसरा परिच्छेद कन्नौज, पंजाब, अजमेर, देहली और ग्वालियरको राजधानियां। कन्नौजका उल्लख सहाभारतमें मिलता है। महर्वि पतअलिने भी इसका उल्लेख किया है। परन्तु इतिहासमें इसका पहला उल्लेख फाहियानके ब्रमण-वृत्तान्तमें आता है। यह चीनी पर्व-