भारतवर्षका इतिहास तिन्त्रतमें बौद्ध-धर्म- सन् ७४३ ई० से सन् १७६ ई. तक का विस्तार । तिव्यतमें वुद्ध-धर्मकी उन्नतिका विशेष. काल गिना जाता है । इस समय तिन्यतके राजाने शान्तिरक्षित और पद्मसंभव नामके दो भारतीय अपि महात्माओं को अपने दरवारमें बुलाकर उनसे उस शासन-पद्धतिके स्थापित करनेमें सहायता ली जिसका सम्बन्ध इस समयतक लासाके नामके साथ यताया जाता है। ऐसा जान पड़ता है कि नवीं शताब्दीमें लोदर्म नामक एक राजाने चौद्ध धर्मको अपने प्रदेशसे निकाल दिया और सन् ८४२ ई० में फिर एकलामाने राजाका वध करके अपने सहधर्मियोंका बदला लिया। सन् २०१३ ई० और सन् १०४२ ई० में मगध देशसे चौद्ध प्रचारक तिब्बतमें पहुंचे और वहां उन्होंने यौद्ध-धर्मको बहुत दृढ़ता-पूर्वक स्थापित कर दिया। भारतके इतिहासमें नेपालका प्रथम उल्लेख अशोक कालमें आता है। नेपाल उस समय मगध राज्यका एक भाग था और महाराजा अशोकने नेपालमें पाटन नामका एक नगर बसाया। यहां उन्होंने और उनकी पुत्रीने बहुतसे भवन बनवाये थे। उसके पश्चात् समुद्रगुप्तो समयमें नेपालका उल्लेख मिलता है। इलाहाबादके स्थानपर तो लाट समुद्रगुप्तने धनवाई थी उसमें नेपाल गुप्तराज्यको करद रिया. सतोंमें गिना गया है। फिर सातवीं शताब्दीमें कन्नौजपति हर्षका राज्य भी नेपालकी सीमातक पहुंचता था। राजा हर्पने अपना संवत् नैपालमें प्रचलित कराया। हर्षके मरनेके पश्चात् नेपालका सम्बंध तिब्बतसे हो गया और सन् ८७६ ई० से नवीन नेपाली नेपाल । 1 संवत् प्रचलित हुआ।
पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२८६
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।