आठवां खण्ड भागमें जेहूं गदीसे उतरकर गान्धार, पेशावर, पाव, गुजरात और काठियावाडको तहस नहस किया । यूरोपमें इस जातिका सक्तेमाल परन्तु सबसे निर्दय और निष्ठुर सरदार पटिल्ला । हुण जातिके आक्रमण । गुप्त राजाओंके शासनकालके पश्चात् भारत राजनीतिक रङ्गमञ्चपर, राजा के समयतया, कोई ऐसा शासक नहीं माया जिसने भारतकी समस्त शक्ति एकत्र करके समस्त भारत- को राष्ट्रीयताके सूबमें प्रथित किया हो। यह मध्यकाल अपे- क्षारत उत्तर-पश्चिमी और पश्चिमी भारतमें एक नवीन पाहा माक्रमणका समय रहा। एक सौ वर्पतक भारतीय इस याहरके आक्रमणका सामना करने में लगे रहे। ईसाकी चीथी शताब्दीके लगमग मध्य एशियाकी गोचारण भूमियोंसे एक और नृशंस जाति उठकर यूरोप और एशिया में फैली। इस जातिको पधिनी शापाने वाल्गा नदीको पार करके प्रायः समस्त मध्यवती, दक्षिणी और पूर्वी. यूरोपको लूट खसोट डाला ! इधर पूर्वी श्वत हूण। था। उसकी निर्दयता और निष्ठुरताकी कहानियां और संकेत
पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२६०
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