पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/२५८

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२२६ भारतवर्षका इतिहास. अधिक कर लामका केवल.०५ भाग था। विद्वान ब्राह्मण करसे मुक थे। छोटे छोटे दुकानदारोंसे बहुत ही मर कर लेनेको आशा थी। छोटे दर्जे के शिल्पियों और श्रमजीवी लोगोंसे मासमें एक दिन काम करानेका नियम नियत था । मनुस्मृतिकी ये कतिपय आशायें केवल इसलिये लिपी गई है ताकि मालूम हो सके कि जिस कालमें मनुस्मृति अन्तिम यार सम्पादित हुई उस समय मार्य-कानूनके विचार और भार्य- समाजके रिवाज त्या थे। सविस्तर आक्षाओंको जाननेके लिये मनुस्मृतिको अध्ययन प्रत्येक भारतीयका फर्चव्य और उसके लिये आवश्यक है। द्वितीय कुमारगुप्तको मृत्युके पश्चाद गुप्त थन्य गुप्त राजा। वंश साम्राज्यका तो अधःपात हो गया परन्तु उस वंशके छोटे छोटे राजा मगध देशकेएक मागमें लगभग पाठवीं शताब्दीतक राज्य करते रहे। इस प्रकारके ग्यारह राजा मोका वर्णन इतिहासमें मिलता है । मगध देशले दूसरे भागने अन्य वंशका शासन रहा। चीनका लिपाङ्ग वंश। चीनके लिगङ्ग-वंशके राजा प्रथम दू-टोने मगध-नरेशके पास दूत भेजे कि मुझे बौद्धोंके महायान सम्प्रदायको धन-पुस्तकें दी जाय यो