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सातवां खण्ड। गुप्तवंशका शासन-काल 3 इकट्ठा किया, और एक ऐसी चन्द्रिक राज्य संस्थाको सापना गुप्त वंशका राज्य विस्तार । सन् २२० ई० या सन् २२५ ई० से लेकर सन् ३२० ई० तक जो शताब्दी चीती उसके विपयमें ऐतिहासिकोको यथेष्ट ज्ञान, नहीं । सम्भवतः इसका कारण यह प्रतीत होता है कि यह काल अपेक्षाकृत शान्तिफा था। फुशन और धांध्रवंशोंके राज्यों के अति- , रिक शेष भारत सम्भवतः छोटे छोटे राज्यों में विमत हो चुका था। ये राज्य अपने अपने स्थान में शान्तिपूर्वक रहते थे। इनमेसे किसीको एक बड़ा साम्राज्य यनानेका विचार नहीं हुआ। परंतु सन् ३२०ई० में एक नवीन राजनीतिक शक्ति भारत में प्रकट हुई, जिसने एक बार फिर समस्त भारतको एक पताकाके नीचे पहला परिच्छेद। की जिसकी सत्ता अनेक शताब्दियोंतक बनी रही। उसके राजत्वकालमें भारतने न फेवल उयोटिकी, राजनीतिक प्रति: