पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/१८९

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। कौटिल्यका अर्थशास्त्र १५६ की जा सकती है, परन्तु गुप्तचर विभागको सूचनायें सदा • सन्देहकी दृष्टि से देखो जाती हैं। इसमें सन्देह नहीं कि जैसा सर्वाङ्गपूर्ण गुप्तचर विभाग जर्मनीने स्थापित किया था, वैसा शायद आजतक संसारमें किसो दूसरे राज्यने नहीं किया। परन्तु चन्द्रगुप्तका गुप्तचर विभाग ब्रिटिश-भारतके गुप्तचर विभाग या पुलिससे किसी अंगमें अधिक बुरा और आपति- जनक न था। कहा जाता है कि चन्द्रगुप्तने कोई विभाग ऐसा नहीं छोड़ा जिसमें गुप्तचर न हों। दुर्भाग्यसे वर्तमान ब्रिटिश सरकारने भी भारतमें जीवनका कोई विभाग ऐसा नहीं छोड़ा जिसमें उसने गुप्तचर न छोड़ रक्खे हो। यह विश्वास करना तनिक कठिन है कि चन्द्रगुप्तके समयमें अध्यापकों और विद्या- र्थियोंसे गुप्तवरों का काम लिया जाता था, अथवा लड़कोंको माता-पितापर मोर माता-पिताको लड़कोपर जासूसी करनेकी प्रेरणा या आज्ञा दी जाती थी। वास्तवमें थोड़ा बहुत गुप्तचर विभाग तो प्रत्येक शासन-प्रणालीके लिये अनिवार्य है, परन्तु प्रजातन्त्र राज्यमें उसके दोप और त्रुटियां ऐसी स्पष्ट दिखाई नहीं देती जैसी कि निरङ्करा अधिराजक शासन में । चन्द्रगुप्तका फौजदारी चन्द्रगुप्तके राजप्रवन्धपर जो तीसरी मापत्ति की जाती है वह यह है कि इसका फौजदारी कानून अतीय नृशंस था। यह आपत्ति सर्वथा उचित है। आधुनिक कालने इस विप- यमें बहुत कुछ सुधार किया है, और यूरोप और अमरीका दण्डका यह मादर्श नहीं रहा जो प्राचीन योरुप और प्राचीन भारतमें या । अभी दो तीन सौ वर्ष नहीं हुए कि यूरोपीय देशों के फौजदारी कानून लगभग चन्द्रगुप्तके फौजदारी कानूनके समान हो, परन् उससे भी अधिक कठोर और नृशंस थे। अभी बहुत कानून । .