5 गांव । ११४ भारतवर्षका इतिहास (१२) श्रावस्ती, यह चुद्ध कालके छ: प्रसिद्ध नगरोंमसे एक थी। (१३) उज्जैन, यह मालवाका प्रसिद्ध नगर है। (१४) चैशाली, जिसका घेरा १२ मीलका लिता है। ग्रामोंका वर्णन करते हुए मोफेसर रिस उस समयके डेविड्ज़ लिखते हैं कि प्रायः सभी ग्राम एक ही नमूनेपर बनाये जाते थे। सारी वस्ती एक जगह इकट्ठी की जाती थी और उसको गलियोंमें बांटा जाता था। गांवके समीप वृक्षोंका एक झुंड रक्खा जाता था। उनको छायाके नीचे गांवकी पंचायतें हुआ करती थीं। बस्तीके इर्द गिर्द कृषिको भूमि होती थी। गोचरभूमियां शामलात (बहुखामिक ) रक्खी जाती थीं। इसके साथ ही जंगलका एक टुकड़ा भी छोड़ा जाता था। वहांसे प्रत्येक व्यक्तिको लफड़ी लेनेका अधिकार था। प्रत्येकके पशु अलग अलग थे, परन्तु गोचर भूमियां पृथक् पृथक् न थीं। फसलके कट जानेपर पशु सब जगह चरते फिरते थे परन्तु फसल खड़ी होनेपर वे केवल गोचर भूमिमें चरते थे। जिस भूमिमें कृषि होती थी वह उतने भागोंमें विभक्त की जाती थी जितने घर कि गांवमें वसा करते थे। प्रत्येकं परिवार अपने भागकी भूमिमें खेती करता था, और उसकी उपज लेता था। अल-सिंचनके लिये नालियां यनाई जाती थी और नियम नियत थे। सारी जोती हुई भूमिकी एक चाड़ थी। अलग अलग खेतोंकी बाड़े न थीं। सारी भूमि गांवकी साझेकी मिलकियत समझी जाती थी। पुरानी कथा में कोई ऐसा उदाहरण वर्णित नहीं जिससे प्रकट होता हो कि किसी अकेले भागीदारने अपनी जोती हुई भूमिका भाग किसी परदेसीके हाथ येच दिया हो । कमसे कम गांवकी पंचा 5
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