। रामायण और महाभारतके समयकी सभ्यता भगवगीताका अनुवाद न हुआ हो । भारतवर्ष में तो यह पुस्तक प्रतिवर्ष लाखोंकी संख्या विकती है। लाखों हिन्दु इसका प्रति दिन पाठ करते हैं। बहुतसे साधुगीताका गुटका गलेमें लटकाये फिरते है। श्रीकृष्णको हिन्दू विष्णुका अवतार मानते हैं और गीता उनकी शिक्षा है। पाँचवाँ परिच्छेद रामायण और महाभारतके समयकी सभ्यता । महाभारतके विषयमें यह सदैव स्मरण रचना चाहिये कि इसमें मार्य सभ्यताका जो चित्र है यह आवश्यक रूपसे किसी एक कालका नहीं, क्योंकि मूल महाभारतमें बहुत कुछ परिवर्तन होता गया है। यही कारण है कि महाभारतमें अनेक विषयों में परस्पर विरोधी आज्ञायें पाई जाती हैं। मूल पुस्तक ऐतिहा- सिक कालसे पूर्वको है। परन्तु वर्तमान पुस्तकमें यौद्ध और जैन मतोंके भी बहुत कुछ चिह पाये जाते हैं। रामायणमें अपेक्षाकृत कम मिलावट है। इन महाकाव्योंके अध्ययनसे ज्ञात होता है कि उस समय हिन्दु-सभ्यता वैदिक कालको सरलताका पहुत कुछ अतिक्रम कर चुकी थी। धर्म, भाचार, सामाजिक जीवन, और राज. नीति आदि सभी घातोंमें जोवन अधिक जटिल और यादम्बर अपका मौवाचरत और उनका निधाया साराय य पद्धतीने एक पान मियम सिवा संसार मा सिलसिटमें पी। .
पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/१२४
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