यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
(E? संख्या विपक पृष्ठ १८७ १८७ छठा खण्ड। १-परिवर्तनकी चार शताब्दीयां, २-इस कालके आर्य-हिन्दू कुल, ३-दूसरी जातियोंका हस्तक्षेप । पहला परिच्छद । १६०-शुद्ध, काण्व और आंध्र वंश १६१-मौर्यवंशके पश्चात्के परिवर्तन १६२-नवीन वेश किस प्रकार प्रतिष्ठित होते थे १६३- पुष्पमित्र १६४-मिनेण्डरका याममण १६५ अश्वमेध यज्ञ १६६ -पुष्पमित्रका धर्म १६७-पतञ्जलिका काल १६८-काण्व वंश १६९-आंध्र वंश २७०-राजा हाल २८९ १८६ १६१ १६१ दूसरा परिच्छद । १७१-भारतकी उत्तर-पश्चिमी सीमापर इण्डो-याखतरीय और इण्डो-पार्थियत राज्य १७२--एशियामें यूनानी सत्ताके अन्तिम दिन १६२ १७३-पार्थिया और बाखतरका विद्रोह १७४-यूनानी सभ्यताका भारतपर कुछ प्रभाव नहीं हुआ १६४