पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/११६

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

- 1 माया के महाकाव्य सापना की। जिस समयमें कौरव दिल्लीके निकट राज्य करते थे इस समय कनोजके समीप एक और प्रबल राजधानी पाञ्चाल लोगोंकी थी। अधिक सम्भव है कि ये दोनों कौरव और पाएडव एक ही वंशसे थे, और उनकी आपसमें बहुत घनिष्ठता धी। operation संक्षेपसे महाभारतकी कथा इस प्रकार है जब कुरु कुलके राजा शन्तनुका देहान्त हुआ तब उसके दो पुत्र थे। उनमें ज्येष्ठ भीष्म था। यह संस्कृत साहित्यमें बालब्रह्मचारीके नामसे प्रसिद्ध है। उसने बाजन्म ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा की। भीष्मसे छोटा लड़का शन्तनुफे, पश्चात् हस्तिनापुरको गद्दीपर वैश। हस्तिनापुर इस राज्यकी राज- पानी यो । यह जिस स्थानपर दिल्ली है यहांसे ६५ मील ऐशानी दिशामें गङ्गा तटपर बसा हुआ था। इस राजाके दो पुत्र हुए 'एक धृतराष्ट्र और दूसरा पाण्ट । धृतराष्ट्र चक्षुद्दीन था।

  • म प्रतिमाका मूल कारण भी बड़ा मनोरमक है। कहते हैं, एक दिन रात

खना भिकार खेलने पर एक नदी किनारे पाचे। वहावे एक धोघरको कन्यापर पासता हो गये। उन्होंने विवाह के लिये धीवरसे प्रार्थना की। धौ वरने कहा कि यरि पाप षवन शिपापले पोछे मरी कन्याका पुत्र राजसिहासनपर ठगा मो विवाहको सौकात दे सकता महाराज मन्तनु उसको यह बात न मान सके कोकि इससे उनी पुव मीमा पधिकार दिनता था। ना भोपको यह समाचार मिला. तर उसने पाप चौक पास बार प्रतिज्ञा को कि महाराज पन्त पौधे 'राग्यशा पधिकारी तुम्हारा दौलिया। परनु घोपर इसपर भी न माना, उसने मा मेरो सन्तान मेरो कन्याको सन्तानसे राजगहो योन सेगे। इसपर मौभने महिला को विमविश भी नवरगा। तब शोसने मोबार कर लिया। सपचासे या पनुमान किया जा सस्ताउस काल में विय सातिक बानगर पाते । एक राजाको भौ या सारस सबताया कि या परपरकोषमाशी पवाद परम पर।