भारतवर्षका इतिहास बली माई। परंतु जब रामचन्द्रजीने प्रजाकी सम्मति ली तो योडेसे लोगोंको अबतक भी विरोधी पाया । इसपर सीताजीको इतना भारी शोक हुआ कि ये तत्काल मूर्छित होकर गिर पड़ी और यहीं उनका प्राणान्त हो गया। . भायों का दूसरा महाकाव्य महाभारत महामारत है। अगरेज ऐतिहासिक इसका समय ईसासे २४०० वर्ष पूर्व ठहराते हैं। यह पुस्तक व्यासजीकी रचना बताई जाती है। परन्तु यह स्पष्ट है कि वर्तमान महाभारत किसी एक समय लिखी हुई नहीं है। प्रत्येक कालके पण्डित समें अपनी ओरसे कुछ न कुछ वृद्धि करते आये हैं। यहांतक कि इस समय इसकी श्लोक-संख्या एक लाखसे अधिक है। तसे विद्वान इस वातपर सहमत है कि मूल पुस्तक बहुत छोटी थी। कुछ इसे दंसं सहस्र श्लोकको और कुछ इससे भी कमकी बतलाते हैं। डाफर हण्टर लिखते हैं कि मूल पुस्तकमें केवल ८००० श्लोक थे। इसी कारण इस पुस्तकसे उस समय की मार्य-सभ्यताका सच्चा और यथार्थ ज्ञान नहीं हो सकता। महाभारतका युद्ध कौरवों और पाण्डयोंके युद्धके नामसे प्रसिद्ध है। परन्तु ऐतिहासिक पुस्तकोंमें यह युद्ध कौरवों और पाँचालोंका युद्ध कहलाता है। पाञ्चालका राजा द्रुपद पाण्डवों का ससुर या । ऐतरेय ब्राह्मणमें उत्तर कुंकका देश हिमालयके इत्तरमें लिखा है। एक यूरोपीय विद्वानका मत है कि यह उतर कर देश चीनी तातारके अन्तर्गत वर्तमान काशगरफे पूर्वमें था। परन्तु कई दूसरे विद्वान लिखते हैं कि वर्तमान काश्मीर प्रदेश उत्तर कुरु देश था। मस्तु, कुछ भी हो इसमें सन्देह नहीं कि कुछ लोग उत्तरीय पर्वतोंके रहनेवाले थे। वहांसे उतरकर उन्होंने गला और यमुनाफे बीचके प्रदेशमें एक प्रबल रावती
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