5 भारतवर्षका इतिहास की वर्णन-शैलीसे,ऐसा जान पड़ता है कि इसका कर्ता श्रीराम चन्द्रजीका समकालीन था। क्योंकि कथामें अनेक सलोपर अन्यकर्ताका: उल्लेख मिलता है। इसी महाकाव्यमें आर्यों के रक्षिण और लङ्काको जीतनेका वर्णन है। । ..रामचन्द्रजी कोशल नरेश दशरथके पुत्र थे। उनको राज- धानी अयोध्यामें थी । अयोध्या अवध प्रान्तमें है। ऐसा जान पड़ता है कि उस समय गङ्गाके निकट आर्य जातिके तीन बड़े राज्य ये। एक तो कोशल राज्य अवध, जिसमें महाराज, रामचन्द्रजीका जन्म हुमा था । दूसरा उत्तर विहारमें विदेहोंका। बदकि.राजा विदेहकी पुत्री श्रीसीताजीसे श्रीरामचन्द्रजीका विवाह हुआ। तीसरा काशी राज्य, वर्तमान बनारसके मास- पास। रामचन्द्रजीकी कथा भारतवर्षमें बहुत प्रसिद्ध है। रामायणके प्रारम्भिक भागमें रामचन्द्र जी के जन्म, उनके शिक्षण, और उनके विवाहका वर्णन है। आर्योंके प्रसिद्ध शपि वलि रामचन्द्र तो और उनके भाइयोंके गुरु थे । जय राम चन्द्रजी और उनके भाई विद्या प्राप्त कर चुके और जवान हो गये तव विश्वामित्रजो उन्हें म्लेच्छोंके साथ लड़नेके लिये ले गये। इस युद्ध में इन क्षत्रिय युयकोंने विजय पाई। तत्पश्चात सीताजीका स्वयम्बर रखा गया। वहां राम वन्द्रनोने समस्त देश. के राजाओं, महाराजामों, और राजकुमारों के सामने, शिवजीका धनुर, जो किसीसे न उठता था, उठाया, और इस प्रकार स्वयं . घर जीतकर राज-कन्या सीताजीको प्राप्त किया। रामचन्द्रजी महाराजा दशरपके सबसे बड़े पुत्र थे। कुछ कालके अनन्तरराजाने उनके राज्याभिषेककी तैयारी की। इस. पर उनकी छोटी रानी कैकेयोके मनमें या और देषकी अग्निः उत्पन्न हुई। यह भरतकी माता थी। पद किसी समय रणः .
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