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राज थे। तोमरों की राजधानी दिल्ली, चौहानों की अजमेर, राठौरों की कन्नौज और बघेलों की गुजरात। दिल्ली के तोमर राजा के कोई बेटा न था। उसने अपने नाती पृथ्वीराज को जो रूपवान, बीर और चौहानों का सिरताज था गोद ले लिया। जब दिल्ली का राजा मरा तो पृथ्वीराज दिल्ली और अजमेर का स्वामी हो गया। राजा जयचन्द भी दिल्ली के तोमर राजा का नाती था। पृथ्वीराज के गोद लिये जाने से उसने अपनी बड़ी हानि समझी और पृथ्वीराज से जलने लगा।

पृथ्वीराज।

३—शहाबुद्दीन ने ११९१ ई॰ में भारत पर पहिले पहिल चढ़ाई की और सीधा दिल्ली की ओर चला। पृथ्वीराज बहुतसे राजपूत राजाओं के साथ एक बड़ी राजपूत सेना लेकर दिल्ली से अस्सी मील उत्तर थानेश्वर के स्थान पर शहाबुद्दीन से मिला। राजपूतों ने बड़ी बीरता दिखाई और अफ़गान हार गये। शहाबुद्दीन बड़ी कठिनाई से अपने प्राण लेकर भागा राजपूतों ने ४० मील तक अफ़गानों का पीछा किया। जो अफगान जीते बचे सिन्धु के पार भाग गये।

४—शहाबुद्दीन के जाने के पीछे कन्नौज के राजा जयचन्द ने अपनी बेटी संयोगिता का स्वयंवर रचा। बड़े बड़े राजा और सरदार इकट्ठा हुए और संयोगिता को आज्ञा दी गई कि जिसे चाहे अपना बर चुने। इसी अवसर पर जयचन्द ने राजाधिराज होने का दावा किया और सारे राजपूत राजाओं को अपना आधीन मानकर सब के नाम न्योता भेजा। इस उत्सव में पृथ्वीराज