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महमूद एक पुस्तक के लिये साठ हजार अशर्फ़ियां देने में आगा पीछा करने लगा और अशर्फ़ियों के बदले साठ हज़ार चांदी के दीनार देने लगा। फ़िर्दौसी ने दीनार लेना स्वीकार न किया और निराश होकर अपने देश को चला गया। कुछ दिन पीछे महमूद अपनी चाल पर पछताया और साठ हज़ार अशर्फियां देकर एक दूत को फ़िर्दौसी के घर भेजा। कहते हैं कि जिस घड़ी महमूद का दूत अशर्फ़ियां लेकर शहर में पहुंचा उसी घड़ी फ़िर्दौसी का अन्तकाल हो गया।


२१—मुहम्मद गोरी।
(११८६ ई॰ से १२०६ ई॰ तक)

महम्मद ग़ोरी।

१—ग़जनी में तुरकी वंश के बादशाहों को राज करते १५० बरस भी न बीते थे कि ग़ोर के अफ़गानों ने उनको जीत लिया। ग़ोर अफ़गानिस्तान के उत्तर-पश्चिम में एक छोटा सा देश था। इस समय यहां का बादशाह महम्मद शहाबुद्दीन था जो इतिहास में महम्मद ग़ोरी के नाम से प्रसिद्ध है। महमूद गज़नवी की तरह यह भी बड़ा बीर और लड़ाका था। यह भी जब तक जिया उत्तर हिन्दुस्थान पर धावा मारता रहा पर इसका मतलब यह न था कि नगरों मन्दिरों को लूटे। यह देश जीतकर राज करना चाहता था।

२—इस समय उत्तर हिन्दुस्थान में राजपूतों के चार बड़े बड़े