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हिन्दुओं में बड़े बड़े विद्वान और उपदेशक हुए जिनकी शिक्षा का देश पर बड़ा प्रभाव पड़ा। दूसरा कारण यह है कि राजपूत राजा आप बड़े बीर थे। वह बुद्ध के उस सिखावन को कब मान सकते थे जिस में लड़ाई दंगा मार काट निषिद्ध है।

३—पुराण का अर्थ पुराना है और पुराण उन ग्रन्थों का नाम है जो पुराने समझ जाते हैं। इसमें सन्देह नहीं कि हिन्दुओं की बहुतेरी पुस्तकें पुरानी हैं क्योंकि इनमें बहुतसी कम से कम १२०० बरस पहिले की बनी हुई हैं। फिर भी यह ग्रन्थ वेद, रामायण और महाभारत से पुराने नहीं हैं। यह पुराण इनसे बहुत पीछे बने। इन पुराणों में हिन्दू धर्म का वह नया रूप देख पड़ता है जो बुद्ध धर्म के निकल जाने पर देश में प्रगट हुआ। अब वेद के पुराने देवताओं की पूजा की धूम नहीं थी। अग्निदेव की पूजा में जो यज्ञ और हवन हुआ करते थे वह भी बन्द हो गये थे। मनुजी के समय में मन्दिर बनवाकर कुछ लोग इनमें देवपूजन करने लगे थे। इसको मनुजी बुरा मानते थे। उनकी इच्छा थी कि लोग फिर पुराने वैदिक देवताओं की सरन लें। पर अब समय बहुत बदल गया था और वैदिक धर्म लुप्त हो गया था। वेद में सूर्यदेव का एक नाम विष्णु भी है क्योंकि वह सारे संसार को गरमी पहुंचाता और सब का प्रतिपालन करता है। रुद्र गरजनेवाले काले बादल को कहते हैं जिसमें बिजली कौंधती है और जो उसके आगे पड़ता है उसे खण्ड खण्ड कर डालती है। आजकल के हिन्दू धर्म में विष्णु परमेश्वर के उस रूप को कहते हैं जो संसार का आधार है; रुद्र या शिव परमेश्वर का वह रूप है जो संसार का संहार करता है। नये धर्म के हिन्दुओं ने दोनों को भिन्न माना है और दोनों की बड़ी मानता और पूजा होती है। ब्रह्मा भी एक देवता हैं। ब्रह्मा का नाम वेद में आया है। नये धर्म ने इनको ईश्वर की