भी इसी के आधीन थे। इसके नाम के बहुत से सिक्के निकले हैं। यह बौद्ध था और उस मत को बहुत मानता और उसपर पूरा विश्वास रखता था।
(ईसा से २०० बरस पहिले से लेकर ६०० ई॰ तक)
१—हम पहिले लिख आए हैं कि प्राचीन हिन्दुओं के समय में सब से प्रसिद्ध राज्य मगध का था। इस प्रान्त को अब बिहार कहते हैं। पहिले यहां विदेहों का राज था। बौद्धों के समय में यह देश और भी बढ़ा। मगध के राजा बिम्बिसार ने बुद्ध जी का धर्म उपदेश सुना और उन्हीं के मत का हो गया। इस समय मगध की राजधानी राजगृह थी। पीछे जो वंश मगध देश का शासक हुआ शूद्र जाति का था। इसका मूल पुरुष नन्द था इस कारण से कुल वंश ही को नन्दवंश कहते हैं। नन्दों ने पाटलीपुत्र को जो गंगा और सोन नदी के सङ्गम पर बसा हुआ था अपनी राजधानी बनाया। जब सिकन्दर ने भारतवर्ष पर धावा मारा तब इस वंश का एक राजकुमार चन्द्रगुप्त नाम जो अपने यहां के राजा को राजगद्दी से उतारना चाहता था सिकन्दर से जा मिला और उस से प्रार्थना की कि आप मगध में चलें और वहां राज करें। यूनानी सिपाहियों ने इतनी दूर जाना स्वीकार न किया। जब सिकन्दर भारतवर्ष से लौट गया, तो चन्द्रगुप्त ने अपने मित्रों की सहायता से नन्द राजा को मार डाला और ईसा से प्रायः ३२१ बरस पहिले मगध का राजा बन बैठा।