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(३) भारतीय सिथियन।

(ईसा मसीह से १५० बरस पहिले से ४०० ई॰ तक।)

१—जो जातियां मध्य एशिया में बसी थीं यूनानी उनको सीथियन और उनके देशको सीथिया कहते थे। इन जातियों की गिनती बहुत थी। पांच सौ बरस अर्थात ईसा मसीह से १५० बरस पहले और ४०० बरस के अन्तर में यह जातियां एक एक करके उसी भांति भारत में आती रहीं जिस तरह पहिले आर्य लोग आये थे। यह कश्मीर, अफगानिस्तान, पंजाब, सिन्ध, गुजरात और मध्य भारत के पश्चिमी भाग में बस गये। ऐसा जान पड़ता है कि पहिले पहिल उन्हों ने पंजाब में भारतीय यूनानी राजाओं के साथ छोटी छोटी रियासतें बसाईं फिर सारे देश को जीतकर स्वाधीन कर लिया।

२—इनमें से जो जातियां पहिले पहिल भारत में आईं उनमें से एक शक थी। यह लोग सिन्ध, मालवा और पश्चिमी भारत में पहुंचे। शक राजाओं का कुटुम्ब जो पश्चिमीय राजाओं के नाम से प्रसिद्ध था, ४०० ईस्वी तक उज्जैन को अपनी राजधानी बनाकर मालवा में राज करता रहा। इसके पीछे भारतवासियों के प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य ने शक वंश को निकाल दिया।

३—एक और भारतीय सीथियन जाति कुशन कहलाती थी। यह ४५ ई॰ से २२५ ई॰ तक अर्थात् १८० बरस तक उत्तरीय भारत में रही। कनिष्क इस जाति का प्रसिद्ध राजा हुआ है। पुरुषपुर अर्थात् पेशावर उसकी राजधानी थी। पंजाब, कश्मीर और सिन्ध में उसका राज था। तुर्किस्तान और अफ़गानिस्तान