पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/३०

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६—श्रीरामचन्द्र जी की कथा।

१—रामायण में श्रीरामचन्द्र जी का चरित लिखा है। अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियां थीं। जेठी रानी का नाम कौशल्या और सब से छोटी का कैकेयी था। कौशल्या के लड़के श्रीरामचन्द्र थे और वह ही राज्य के उत्तराधिकारी थे। पर राजा दशरथ कैकेयी को जो सब से छोटी और परम सुन्दरी थी, बहुत मानते थे और मानो उन्हीं के हाथ बिकेसे थे। कैकेयी की यह इच्छा थी कि उनका बेटा भरत राज पावे। मझली रानी सुमित्रा के भी दो लड़के लक्ष्मण और शत्रुघ्न थे।

२—राजा के बड़े बेटे राम सारे देश में वीरता और पराक्रम में अद्वितीय थे। वह सुशील और सत्यप्रिय थे। अवधवासी उनको देख देख कर जीते थे। राजा भी उन पर और बेटों से अधिक स्नेह रखते थे और उन्हीं को राजतिलक देना भी चाहते थे।

३—अवध से दूर पूर्व की ओर गंडक नदी के पार मिथिला का राज था। वहां के राजा महाराज जनक की सीता नाम की एक बेटी बड़ी रूपवती थी। बड़े बड़े राजकुमारों ने उसके साथ विवाह के सन्देसे भेजे थे। पिताने बेटी को अधिकार दे दिया था कि वह अपना वर आप चुन ले, इसलिये स्वयम्बर रचने का विचार किया गया और इस बात को चरचा चारों ओर फैल गई। राजा जनक को अपने पुरखों से एक बहुत बड़ा धनुष मिला था जो कि बहुत कड़ा था। सीता ने कहा कि जो कोई इस धनुष को तोड़ देगा वहीं मेरा पति होगा। झुंड के झुंड राजा मिथिला में आ उपस्थित हुए। एक एक करके सबने ज़ोर लगाया परन्तु कोई उस धनुष को न तोड़ सका। धनुष इतना भारी था कि बहुतेरों से तो हिला भी नहीं। परन्तु जब राम की बारी आई तो उन्हों ने सहज ही उसे