पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/२५

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थे जब आर्य लोग सिन्धु की तरेटी के सब से पूर्व के भाग ब्रह्मावर्त में रहते थे। इन मन्त्रों में सिन्धु का नाम बहुत आया है; गङ्गा का केवल दो बार सो भी सब से पीछे बने मन्त्रों में है।

७—भारतवर्ष के पुराने आर्यों का हाल जो कुछ हमने जाना है सब ऋग्वेद से। वेद की भाषा वैदिक है जो पिछली और प्रचलित संस्कृत का पहिला रूप है। बहुत दिनों तक थोड़े से पण्डितों को छोड़ वेद को कोई समझ नहीं सकता था। आज कल अङ्गरेज़ी और कई भाषाओं में इसका अनुवाद हो गया है। वेद मन्त्र बहुत पहिले के बने हैं परन्तु बरसों तक उनका किसी ने ऐसा संग्रह न किया जैसे अब छापे जाते हैं। बनने से ५०० बरस पीछे तक उनकी गिनती भी ठीक न हुई थी।


५—रामायण का समय।

१—जब आर्यों को गंगा यमुना की तरेटी में रहते बहुत दिन बीत गये तो उनमें से कई कुल अपने सरदारों के साथ पूर्व की ओर उस देश में बढ़े जो गंगा और हिमालय के बीच में है और एक एक करके गोमती, घाघरा, गंडक और कोसी नदियों को जो पहाड़ से उतर कर गंगा में मिल जाती हैं, पार कर गये; गंगा के दक्षिण चम्बल और बेतवा को तरेटियों को लांघते विन्ध्याचल पहाड़ तक पहुंच गये और जो देश विन्ध्याचल और हिमालय के बीच में है उसका नाम मध्यदेश रख लिया।

२—भरत और पांचालवंश के सिवाय जो और बड़ी बड़ी जातियां उत्तर हिन्दुस्थान में बसी थीं उनमें से किसी किसी जाति का नाम हम अब भी जानते हैं। जिस प्रान्त को अब अवध कहते हैं वहां