पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/२१३

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सिपाही को साथ लिये बिना राह नहीं चलते थे। इलाक़े के इलाक़े उजाड़ पड़े थे। जो कुछ सड़कें पहिले की बनी मौजूद थीं बिलकुल चौपट हो गई थीं। कोई उनकी देख भाल नहीं करता था, गाड़ियों का चलना बन्द हो गया था, लोग घोड़ों या बैलों पर चढ़ कर यात्रा करते थे।

गांव का मचान।

हर इलाक़े का सरदार अलग था। यात्री जब तक उनको कुछ भेट न देते थे वह लोग उनको अपने इलाके में