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शिवाजी को चौथ अर्थात अपनी आमदनी का चौथा भाग देना स्वीकार किया।

११—इसके कुछ काल पीछे सन् १६८० ई॰ में शिवाजी की मृत्यु हुई। उस समय उसकी आयु ५२ बरस की थी। मरहठों में ऐसा बीर और बुद्धिमान सरदार दूसरा न था। उन दिनों के मरहठों के हाथ के चित्र जो मौजूद हैं उन में दिखाया गया है कि शिवाजी घोड़े पर चढ़ा चला जा रहा है और चावल फांक रहा है। अर्थात् उसे आराम के साथ खाने का भी समय नहीं मिलता था।

१२—शिवाजी के पीछे उसका बेटा सम्भाजी (शम्भुजी) बाप की गद्दी पर बैठा परन्तु उसमें बाप की योग्यता कुछ भी न थी। वह आलसी और निर्दयी था। औरङ्गज़ेब ने उसे थोड़े ही दिनों में पकड़ लिया और मरवा डाला।


४३—मुग़लराज की घटती।
(सन् १७०७ ई॰ से १७४८ ई॰ तक)

१—मुग़ल घराने के कुल १५ बादशाह हुए। उनमें से पहिले छः शक्तिमान और सचमुच सम्राट कहे जाने के योग्य थे। मुग़ल घराने के इन सच्चे सम्राटों में औरङ्गजेब अन्तिम था। उसके समय में मुग़ल राज की हद इतनी बढ़ गई थी कि पहिले किसी सम्राट के समय में न हुई थी पर औरङ्गजेब के बुरे बर्ताव ने जगह जगह बैरी पैदा कर लिये थे। सिक्ख, राजपूत और मरहठे बिगड़ गये। औरङ्गजेब के जीवन के अन्तिम बीस बरस युद्धक्षेत्र में इस चेष्टा में बीते कि मरहठों को पराजित किया जाय परन्तु मरहठे बिद्रोही ही बने रहे।