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जब अरबों ने यह देश जीत लिये तो इस तरह का बाणिज्य बहुत कुछ बन्द हो गया। सैकड़ों बरस तक अरबों और ईसाइयों में युद्ध होता रहा इस कारण ईसाई सौदागर पुराने रास्ते माल अस्बाब नहीं ले जा सकते थे।

४—जब यूरोपवाले प्राचीन थल पथ से अस्बाब ले जाने में असमर्थ हुए तो उनको इस बात की चिन्ता हुई और यह सूझी कि कोई रास्ता समुद्र का निकालना चाहिये।

५—उनदिनों सब से सुगम समुद्र का रास्ता वह था जो अफ्रिका के पश्चिम और दक्षिण होता हुआ आता था। इसको पुर्तगालवालों ने ढूंढ निकाला था। समुद्र में जहाज़ छोड़ कर अफ्रिका के किनारे किनारे चले इसका फल यह हुआ कि दक्षिणीय तट पर पहुंच कर ज्यों पूर्व की दिशा में मुड़े त्यों हिन्द महासागर में जा निकले। होते होते एक प्रसिद्ध पुर्तगीज़ कप्तान वास्को डिगामा कुछ जहाज़ लेकर १४९८ ई॰ में भारतवर्ष के पश्चिमीय समुद्रतट पर आया और कालीकट नगर में उतरा।

६—कालीकट का राजा ज़मोरिन कहलाता था। उसने वास्को डिगामा को पुर्तगीज़ बादशाह के नाम एक पत्र दिया जिसका सारांश यह था, "मेरे राज्य में दारचीनी, लौंग, कालीमिर्च और अदरक अधिक होती है, मैं तुम्हारे देश से सोना चांदी मूंगा और क़रमज़ी मखमल चाहता हूं"।

७—अब से सौ बरस तक अर्थात् १५०० ई॰ से १६०० ई॰ तक भारतवर्ष का समुद्रीय व्यापार पुर्तगीज़ों के हाथ में रहा। उन्हों ने गोवा स्थान में एक बड़ा क़िला बना लिया था। आज तक यह स्थान उन्हीं के आधीन चला आता है।

८—यूरोप के और और देशवालों ने जो देखा कि पुर्तगीज़ भारत के व्यापार से बड़े धनी हुए जा रहे हैं तो उनके मुंह में