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भाग कर फ़ारस चला गया था। अमीर बिगड़े हुए थे। प्रजा धिक्कारती थी। अब समय आगया था कि बादशाह संसार के झगड़ों से मुक्त हो। निदान बुढ़ापे ही के रोग से निर्जीव होकर १७०७ ई॰ में चलता बना। उसके थोड़े ही दिनों पीछे मुग़ल राज भी नष्ट भ्रष्ट होने लगा।


४०—भारतवासियों और यूरोपवालों में बाणिज्य व्यवहार का आरम्भ होना।

१—आज कल भारतवर्ष ब्रिटिशराज का एक भाग है। इङ्गलैण्ड का बादशाह कै़सर हिन्द भी कहलाता है। पर हमको देखना चाहिये कि अङ्गरेजों ने भारतवर्ष में कब प्रबेश किया कैसे आये, उनके आने का कारण क्या था और भारतवर्ष ब्रिटिशराज में कैसे आगया। अब इस पुस्तक में इसी बात का वर्णन होगा।

२—लगभग ३०० बरस हुए, पहिले पहिल अंगरेज़ यहां बाणिज्य की अभिलाषा से आये थे। काली मिर्च, चावल, रूई, नील, अदरक, गरम मसाला, नारियल, पोस्ता जिससे अफ़ीम निकलती है, गन्ना जिससे खांड़ और शक्कर तैयार होती है इत्यादि बस्तु इङ्गलैड ऐसे शीत स्थान में नहीं उपजतीं। प्राचीन काल में भारतवर्ष की मलमल और रूई और रेशम के कपड़े इङ्गलैंड की अपेक्षा अच्छे बनते थे। अङ्गरेज़ सौदागर यह सब बस्तु यहां से विलायत ले जाते थे और विलायत से कपड़ा लोहे तांबे और फ़ौलाद का बहुत सा सामान लाते थे जो यहां प्राप्त नहीं होता था।

३—पहिले भारतवर्ष का माल थल राह से ऊंटों और खच्चरों पर लद कर विलायत जाता था। भारतवर्ष से जो कारवां चलते थे वह अफ़गानिस्तान, फ़ारस और ऐशिया कोचक होते हुए जाते थे।