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बाबर के समय में गुरु नानक एक महात्मा हो गये थे। हिन्दू मुसलमानों का आपुस में लड़ना इनको अच्छा नहीं लगता था । इन्हों ने कुछ बातें हिन्दू धर्म की लीं और कुछ मुसलमान मत की और दोनों को मिला कर एक नया पंथ चलाया। बहुत से मनुष्य उनके अनुगामी हुए जो सिख (शिष्य) अथवा चेले कहलाये।

नानक।

बाबर और और बादशाहों ने इनसे कुछ छेड़ छाड़ न की। कारण यह था कि यह बड़े शान्त स्वभाव के थे, न कर देने में बखेड़ा करते थे न किसी को सताते थे। पर औरङ्गजेब ने इन्हें बड़ा कष्ट दिया और बहुत से सिक्खों को मरवा डाला। इस कारण इन्हें अपने प्राणों की रक्षा के निमित्त हथियार बांधने पड़े और इनकी एक लड़नेवाली जाति बन गई। औरङ्गजेब ने इनको हरा दिया और इनको भागकर हिमालय में शरण लेनी पड़ी। औरङ्गजेब के मरने पर यह पहाड़ों से लौट आये और उत्तरीय भारत में सब से शक्तिमान हो गये।

१०—मरहठों से लड़ते लड़ते औरङ्गजेब के सैनिक थक गये थे। भोजन करने को अन्न न मिलता था। कूओं में बिष डालदिया गया था। पानी को तरसते थे। बादशाह की आयु अब नब्बे बरस की थी। ऐसा कोई मनुष्य उसके निकट न था जिससे वह कुछ सलाह पूछता। बेटे बाप की कठोरता और बहुत दिन राज करने से चिढ़ गये थे। एक बेटा मरहठों से जा मिला था, एक