बरस पीछे वहां से मरा निकला। शाहजहां ने जैसा किया था वैसा उसे फल मिला। उसने भी अपने बाप जहांगीर से लड़ाई ठानी थी और अपने भाइयों और उनकी सन्तान को मरवा डाला था। देखो तो मुगल वंश के पहिले दो बादशाहों और इन पिछले दो बादशाहों में कितना भेद था। बाबर ने अपने बेटे के निमित्त अपने प्राण दिये। हुमायूं ने कई बार उन भाइयों के अपराध क्षमा किये जो उसकी जान के प्यासे थे। शाहजहां और औरङ्गजेब ने अपने बाप से लड़ाई ठानी और अपने भाइयों को मरवा डाला।
(१६५८ ई॰ से १७०७ ई॰ तक)
१-यों तो औरङ्गजेब ने भी अकबर की भांति पचास बरस राज किया पर और बातों में अकबर के विरुद्ध था। दस बरस तक तो यह उन राजपूत सरदारों को अप्रसन्न करने से डरता था जो इसके सेनापति थे। पहिले तीन बरस इसने अपने भाई भतीजों के मारने मरवाने में बिताये। जब तक यह न होलिया उसको अपनी कुशल में सन्देह रहा। फिर बाप का भी उसे ध्यान था। जब तक वह जीता था उसे भय था कि कहीं राजपूत लोग उसे फिर सिंहासन पर न बैठा दें। इस कारण उसे इसने आगरे के क़िले में बन्द रक्खा और वहां से १६६६ ई॰ में ७७ बरस की पूरी आयु होने पर वह मर कर ही निकला।
२—औरङ्गजेब अब सुचित होकर सिंहासन पर बैठा और दस बरस तक उन हिन्दुओं और ईसाइयों को जो पहिले बादशाहों के नौकर थे अलग करता गया और उनकी जगह पर