१०—शाहजहां के चार पुत्र थे। सबसे बड़े का नाम दारा था। वह बड़ा बीर सुन्दर और शुद्ध प्रकृति का था; पर अभिमानी और अदूरदर्शी भी था। यह भी अकबर की भांति हिन्दू जाति का पक्षपाती था इसी कारण मुसलमान अमीर इस से अप्रसन्न थे। दूसरे का नाम शुजा था। यह भी बड़ा बीर और चतुर था पर अपने दादा की भांति सुरापान और भोगविलास में दिन काटा करता था। तीसरा औरङ्गजेब था, यह ऊंचे हौसले वाला परन्तु कट्टर मुसलमान था। इसने अपने छोटे भाई मुराद से कहा कि मुझे बादशाहत करने की अभिलाषा नहीं है; मैं तो फ़क़ीर बन कर एकान्त में बैठने और परमात्मा का ध्यान करने में अपने दिन काटना चाहता हूं पर मैं इस बात का उद्योग करूंगा कि तुमही राज्य के अधिकारी हो। सब से छोटा बेटा मुराद सुरा और शिकार में मस्त रहता था। जो कुछ औरङ्गजेब ने उससे कहा था आंखें मीच कर उसी को वह सच समझ बैठा। चारो भाइयों के पास अलग अलग बड़ी सेना थी। चारों अलग अलग सूबों के सूबेदार थे। दारा दिल्ली में था, औरङ्गजेब दखिन में, शुजा बङ्गाले में और मुराद गुजरात में।
११—१६५८ ई॰ में शाहजहां बीमार पड़ा। इस समय इसकी आयु ७० बरस की थी और ३० बरस राज्य करते हो गये थे। लोगों ने अनुमान किया कि अब यह मर जायगा। इसके चारों बेटों में राज्य के निमित्त युद्ध होने लगा। पांच बरस तक इनमें युद्ध होता रहा। अन्त में औरङ्गजेब ने सब को परास्त किया और बादशाह बन बैठा। इसने दारा और मुराद को मरवा डाला; शुजा आसाम को भागा यहां के हाकिम ने उसको और उसके बच्चों को मरवाडाला। शाहजहां बीमारी से बच गया उसको औरङ्गजेब ने आगरे के क़िले में कैद कर दिया और वह सात