पर धावा मारा। चार महीने तक उसे घेरे पड़ा रहा। एक रात को पहाड़ में जो दीवार की भांति सीधा खड़ा था खूंटियां गाड़ी और तीन सौ बहादुरों के साथ आप उस खूटियों के जीने पर चढ़ कर कोट के भीतर घुसा। सुना जाता था कि उस गढ़ में किसी स्थान पर बहुत सा धन गड़ा हुआ है। क़िलेदार से बहुतेरा पूछा पर उसने कुछ पता न दिया। हुमायूं के कुछ सर्दार बोले कि इसको कष्ट दिया जाय तो कदाचित बता दे। हुमायूं को यह बात अच्छी न लगी। उसने क़िलेदार को अपने यहां बुलाया और उसकी बड़ी आव भगत की और शराब पिला दी। शराब के नशे में क़िलेदार ने बतला दिया कि अमुक तालाब के नीचे एक बड़ा तहख़ाना है और उस तहख़ाने में ख़जाना है। निदान तालाब का पानी खींच कर निकाल दिया गया और खोदा तो जो धन गुजरात के बादशाहों ने जोड़ा था सब ज्यों का त्यों मिल गया। हुमायूं ने आज्ञा दी कि प्रत्येक सर्दार अपनी ढाल ले आये और जितना सोना चांदी अपनी ढाल पर उठा सके ले जाय। इस अवसर पर हुमायूं से यह नादानी हुई कि उसने इस असंख्य धन के उठाने और लुटाने और खान पान में बहुत सा समय खो दिया और उन अफ़गान सर्दारों से लड़ने का ध्यान उसको न रहा जो बाग़ी हो रहे थे।
५—गुजरात में अपने भाई अस्करी को छोड़ कर हुमायूं मालवे में पहुंचा और वहां के अफ़गान हाकिम को भगाकर फिर सुख चैन में पड़ गया। इस बीच में दिल्ली से समाचार मिला कि पूर्व का सब देश बागी हो गया और अफ़गान अमीर बङ्गाले, जौनपूर और बिहार के बादशाह बन गये और आगरे के आस पास के छोटे छोटे पठान रईस लड़ने पर उतारू हैं।
६—सब से शक्तिमान बाग़ी पूर्व का एक अफ़गान सूबेदार शेरखां था। बाबर के मरने के दिन से हुमायं तो दक्षिण दिशा में