पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/१३६

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हों। तुर्कों की भांति यह भी मुसलमान थे पर बहुतेरे तो नाम ही को। भारतवासी तातारी और तुर्क में भेद न जानते थे। मुग़ल वंश के बादशाहों को मुग़ल कहने का कारण यही है। यह लोग मंगोलिया के मुग़ल न थे। यह तुर्किस्तान के तुर्क थे और इन को तुरकी बादशाह कहना चाहिये।

३—भारत के मुसलमान बादशाहों में मुग़ल सब से ज़बरदस्त हुए। इस वंश के १५ बादशाह हुए। इन में आदि के ६ बहुत प्रसिद्ध हैं। पिछले ९ न ऐसे प्रसिद्ध थे और न उनके ऐसी शक्ति थी। पहिले ६ बादशाहों के नाम यह हैं; बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब।


३२—बाबर।
(सन् १५२६ ई॰ से सन् १५३० ई॰ तक)

१—तैमूर के मरने पर उसका राज बहुत सी छोटी छोटी रियासतों में बँट गया। एक रियासत क़ोक़न्द की थी जो तुर्किस्तान का एक भाग है। बहुत दिन पीछे यह रियासत बाबर के हाथ लगी। बाबर तैमूर के नाती का बेटा था। बाप के मरने पर बाबर इस रियासत का मालिक हुआ। इस समय वह तेरह बरस का था।

२—राजसिंहासन पर बैठाही था कि चाचा ने चढ़ाई की और जान के डर से बाबर को उस से लड़ना पड़ा। रियासत उसके हाथ से निकल गई। पर तुर्किस्तान के बहुत से बिना घरबार के सरदार और उनकी प्रजा बाबर को बराबर अपना बादशाह मानती रही और कभी उसका साथ न छोड़ा। बीस बरस तक बाबर इधर उधर फिरता रहा, आज यहां कल वहां।