सन् १६८६ ई॰ में औरङ्गजेब ने आप बीजापुर पर चड़ाई की और उसे जीत कर आदिलशाही वंश का नाश कर दिया।
३—अहमदनगर की रियासत का आरम्भ भी बीजापुर के साथ ही साथ १४८९ ई॰ में हुआ। इस रियासत की नीव निज़ाम शाह ने डाली थी। इसका बाप वास्तव में एक ब्राह्मण था और यह बचपन ही में दास होकर मुसलमान हो गया था। इसने अहमदनगर बसाया और सात बरस घेरे रहने के पीछे दौलताबाद को जीत लिया। १५९५ ई॰ में बादशाह अकबर के बेटे मुराद ने अहमदनगर को घेरा। उस समय अहमदनगर का कोई बादशाह न था। इस कारण अहमदनगर के लोगों ने चांद बीबी से जिसकी आयु अब पचास बरस की थी, प्रार्थना की कि आप इस राज्य का शासन अपने हाथों में लें। चांद बीबी अहमदनगर में आई और बीजापुर के बादशाह को उसने सहायता के लिये लिखा; अहमदनगर के कोट की मरम्मत की और सेना लेकर स्वयं शत्रु से लड़ने को तैयार हुई। मुग़लों ने सुरंग लगाकर क़िले की दीवार उड़ा दी और चाहा कि इस राह से अन्दर घुस जायं और क़िला ले लें परन्तु चांद बीबी सिर से पैर तक कवच पहिने, हाथ में तलवार लिये, द्वार पर उपस्थित थी और बैरी के जो सैनिक निकट आते थे उन्हें पीछे हटाती थी। अहमदनगर के लोगों को एक स्त्री का यह साहस और बीरता देखकर ऐसा जोश आया और मुग़लों की सेना पर ऐसे टूटे कि उसे पीछे हटना पड़ा चांद बीबी ने रातों रात वह सुरङ्ग भरवा दी। सवेरेही समाचार मिला कि बीजापुर का बादशाह सेना लिये उसकी सहायता को आता है। मुराद ने चांद बीबी से सन्धि कर ली और पास का इलाका लेकर अहमदनगर से हाथ खींच लिया। कुछ दिन पीछे एक नीच विद्रोही ने मल्का चांद बीबी को मार डाला। फिर अकबर बादशाह स्वयं