पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/११६

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१०—मुबारक का नाम तो मुबारक था किन्तु कर्मों के बिचार से वह ख़िलजी वंश के सब से मनहूस बादशाहों में हुआ। उसने अपने छोटे भाई की जो एक नन्हा सा बच्चा था आंखें निकलवा डालीं। जिन लोगों की सहायता से उसे राज मिला था उनको भी मरवा दिया और एक नीच जाति के हिन्दू दास को जो मुसलमान हो गया था खुसरो खां की पदवी देकर अपना मन्त्री बनाया। मुबारक दो बरस राज करने के पीछे उसी मंत्री के हाथ से मारा गया। खुसरो खां बादशाह बना और अपना नाम नासिरुद्दीन रक्खा। उसने ख़िलजियों के वंश के बच्चे बच्चे तक को मरवा डाला परन्तु आप भी बहुत दिनों राज न कर सका। ग़यासुद्दीन तुग़लक जो एक शक्तिमान सर्दार और पञ्जाब का हाकिम था दिल्ली पर चढ़ आया; नासिरुद्दीन को मार डाला और इस कारण से कि खिलजी वंश का कोई नाम लेवा न बचा था आप बादशाह बनकर दिल्ली के सिंहासन पर बैठ गया।


२५—तुग़लक वंश।
(१३२० ई॰ से १४१४ ई॰ तक।)

१—इस वंश से आठ बादशाह हुए। इन में से दोही प्रसिद्ध हैं; एक अपने दुष्टपने के कारण और दूसरा अपनी भलाई और सुप्रबंध के निमित्त। बदनामी का टीका महम्मद तुग़लक के माथे पर है जो इस वंश का दूसरा बादशाह था; और नेकनामी का छत्र फीरोज़ तुग़लक के सिर पर है जो इसके पीछे तीसरा बादशाह हुआ।

२—इस वंश का पहिला बादशाह ग़यासुद्दीन था। यह बलबन के तुर्की गुलाम का एक बेटा था, जिसने एक हिन्दू स्त्री के साथ विवाह कर लिया था। उसने पांच बरस राज किया। इसके