पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास.djvu/११४

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देवी को जो गुजरात के जीते जाने के समय मेरे पहिले पति अर्थात् गुजरात के राजा के साथ दखिन चली गई थी ला दो। मलिक काफ़ूर ने उसके खोज में एक सेना भेजी। शङ्करदेव के साथ, जो देवगिरि के राजा रामदेव का पुत्र था, उस कन्या का विवाह होने ही वाला था कि इतने में मलिक काफ़ूर की सेना ने उनको जा घेरा। मलिक काफ़ूर उस लड़की को दिल्ली लाया और यहां बादशाह के पुत्र खिज्रखां के साथ उसका निकाह हो गया। मलिक काफ़ूर रामदेव से लड़ा और उसको क़ैद करके दिल्ली ले आया। यहां अलाउद्दीन ने उसके साथ ऐसा अच्छा बर्ताव किया कि वह जन्म भर बादशाह का शुभचिन्तक बना रहा।

७—रामदेव का पुत्र शङ्करदेव अलाउद्दीन से जलता था। कारण यह था कि उसने उसकी स्त्री छीन ली थी। बाप की मृत्यु के पीछे शङ्करदेव बाग़ी हो गया और मलिक काफ़ूर सेना लेकर उसको दण्ड देने के लिये भेजा गया। शङ्करदेव लड़ाई में मारा गया और काफ़ूर ने सारा मरहठा देश उजाड़ दिया। १३१० ई॰ में काफ़ूर करनाटक देश के मैसूर के इलाके में होता हुआ धुर द्वारसमुद्र में जा पहुंचा जहां बल्लाल राजा की राजधानी थी। उसको पराजित करके काफ़ूर और भी दक्षिण की ओर बढ़ा और रासकुमारी तक पहुंच गया। यहां से बहुत सा धन लेकर दिल्ली लौट आया। इसकी ग़ैर हाज़िरी में पन्द्रह हज़ार मुग़ल जो अलाउद्दीन के दर्बार में नौकर थे बाग़ी हो गये थे। वह सब मार डाले गये और उनकी स्त्रियां और बच्चे दास बनाकर बेंच दिये गये।

८—अलाउद्दीन के राज में अफ़गान अमीरों को यह अधिकार न था कि जो कुछ जिसके जी में आयें करे। बादशाह की आज्ञा के बिना न वह किसी को भोज दे सकते थे न