भूमिका। इतिहासको जैसे 'ग्रीस देशके महाकवियोंने रचा निर 'राजतरंगिणी' में इतिहासप्रशंसात्मक इस प्रकारका ले कोऽन्यः कालमतिकांत नेतुं प्रत्यक्षतां क्षमः । कविप्रजापती स्त्यक्ता रम्य निर्माणशालिनः॥ २' मामिनी विलास की भूमिकामें इतिहास पै निबंध बैठना मेरा अभिप्राय नहीं, परंतु प्रस्तुत काव्यके कर्ताद जगन्नाथरायके चरित्रका दिग्दर्शन कराना है इससे इतिहासके में कुछ लिखना मैंने योग्य समुझा । ३ वस्तुतः पंडितराजके विषयमें चार अक्षर लिखनेका मार्ग रहे नहीं यह कहना अयथार्थ है ऐसा नहीं। हां उनके ग्रंथोंसे के अत्यल्प वृत्त उनका जाना जा सकता है परंतु जो तत्त्व जीवनचरि में उपलब्ध होता है वह कहाँ और महान प्रयत्नसे ग्रंथोंके कथान कादिकसे एकत्रकीगई वार्ता कहां ? कवियोंके जीवनवृत्त विस्तृतहोने और उनके पश्चात् तद्विपयक ज्ञान प्राप्त होनेके केवल दो मार्ग हैं। एक तो यहकि उनके चरित्र दूस- रॉके द्वारा लिखा जाना अथवा जीवनावस्थामें अपनी दिनचर्या स्वयं लिखना; दूसरा यह कि अपने ग्रंथम स्वविषयक, लेख यदि सविस्तर नहीं तो संक्षेपही प्रकाशित करना । प्रथम प्रकारका तो नामहीं न लेना । न तो किसी कवि ने दिनचर्या लिखी और न किसी विद्वानने उनके चरित्र प्रगट करनेके हेतु से अपनी कुशल लेखनक्रियाका व्यय किया । जिन महानुभावोंसे विद्याध्ययन करके पट्शास्त्रमें पारंगत हुए और जिनके प्रसादसे अद्वितीय काव्य, नाटकादिक निर- माण करने की शक्ति पाई उनका नाम जीवित रखने तथा उनको १ रम्य अर्थसृष्टि निर्माण करनेवाले प्रति ब्रह्मदेवही ऐसे जो कति उनके अतिरिक्त पुरातन कालकी स्थिति पुनर दृष्टिगोचर करनेक सामध्यं और किसमें द?
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