लेखक चार्ल्स लैम्ब (Charles Lamb) के उत्तमोत्तम निबन्धों के साथ किया है और लिखा है कि "भट्ट जी की भाषा में वही सुबोधता है, वही स्वाभाविकता तथा वही सरसता है जो लैम्ब मे मिलती हैं। PETH TATT FT "All Fools Day", "Poor relations' आदि लेखों मे छोटी सी बातों को लेकर बड़ी लम्बी काल्पनिक उड़ान लेते हैं उसी प्रकार भट्ट जी भी अपने लेखों में बहुत ऊँचे पहुँच जाते हैं। इसके अतिरिक्त इनके निबन्धों में वही घनिष्टता तथा व्यक्तित्व है जो लैम्ब मे है।" इनके कुछ श्रेष्ठ निबन्धों का संग्रह "साहित्य सुमन" नाम से प्रका- शित हुआ है। यह पुस्तक अपनी साहित्य श्रेष्ठता के कारण शुरू ही से प्रयाग विश्व-विद्यालय की एम० ए० और हिन्दी साहित्य सम्मेलन की विशारद परीक्षा में पाठ्य-पुस्तक रहती चली आ रही है। यह अन्यान्य और भी जितने अधिक स्थानों में पाठ्य-पुस्तक बनाई गई और जितने अधिक संस्करण इसके हुए उतनी लोक-प्रियता आधुनिक काल के शायद ही किसी संग्रह को प्राप्त हुए हों। इनके चुने हुए सुन्दर भावात्मक निवन्धों का सग्रह "भट्ट निबन्धावली के प्रथम भाग के रूम मे इसी वर्ष प्रकाशित हुआ है। इस दूसरे भाग में इनके विचारात्मक निबंधो का सग्रह किया गया है। इस संग्रह मे चुने हुए इनके ३५ निबंध उच्चकोटि के रखे गये हैं। ये सभी निबन्ध "हिन्दी- प्रदीप से लिए गए हैं और प्रत्येक निबन्ध के नीचे उनकी रचना का समय भी दे दिया गया है। श्राशा है, हिन्दी-संसार इन नूतन संग्रह- अन्यों का यथेष्ट आदर करेगा। अहियापुर, इलाहाबाद ता० १२ नवम्बर; १९४२ धनंजय भट्ट 'सरल'
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